सिबिल स्कोर के मामले में कंज्यूमर कोर्ट का अहम फैसला, ग्राहकों को मिली बड़ी राहत CIBIL Score

By Meera Sharma

Published On:

CIBIL Score

CIBIL Score: आज के डिजिटल युग में सिबिल स्कोर हर बैंक ग्राहक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह स्कोर व्यक्ति की साख और वित्तीय विश्वसनीयता का प्रतीक होता है। लोन, क्रेडिट कार्ड या किसी भी वित्तीय सेवा के लिए आवेदन करते समय सबसे पहले सिबिल स्कोर की जांच की जाती है। हाल ही में बेंगलुरु की कंज्यूमर कोर्ट ने सिबिल स्कोर से संबंधित एक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जो सभी बैंक ग्राहकों के लिए राहत की बात है। यह निर्णय उन ग्राहकों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो गलत सिबिल रिकॉर्ड के कारण परेशानी झेल रहे हैं। इस फैसले से बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर दबाव बनेगा कि वे अपने ग्राहकों के सिबिल रिकॉर्ड को सही तरीके से अपडेट करें।

मामले की मूल समस्या

यह मामला एक ऐसे व्यक्ति से जुड़ा है जिसने 2010 में अपना क्रेडिट कार्ड बंद करवाने के लिए बैंक में सरेंडर कर दिया था। बैंक की ओर से विभिन्न प्रकार के शुल्क और चार्जेस के लिए ग्राहक को लगातार परेशान किया जाता रहा। शिकायतकर्ता वेंकटेश बाबू ने क्रेडिट कार्ड के सभी बकाया राशि के निपटान के लिए 15,500 रुपये का भुगतान किया था। इस भुगतान के बाद उन्होंने बैंक से लिखित पुष्टि भी ली थी कि उनकी ओर से कोई राशि बकाया नहीं है। इसके बावजूद बैंक ने उनके नाम को सिबिल रिकॉर्ड से नहीं हटाया और उसे शाहा फिनलीज के साथ अपडेट कर दिया। इस गलती के कारण ग्राहक को कई सालों तक परेशानी झेलनी पड़ी।

यह भी पढ़े:
CIBIL Score अब किसी का भी सिबिल स्कोर नहीं होगा खराब, RBI ने बनाया नया नियम। CIBIL Score

सिबिल रिकॉर्ड अपडेट न करने की समस्या

जब शिकायतकर्ता को पता चला कि उसका सिबिल रिकॉर्ड सही तरीके से अपडेट नहीं किया गया है तो उन्होंने इस मामले की गहराई से जांच की। उन्होंने पाया कि सिबिल रिकॉर्ड में उन्हें अभी भी देनदार के रूप में दिखाया जा रहा था, जबकि उन्होंने सारी राशि का भुगतान कर दिया था। इस गलत जानकारी के कारण उन्हें नए लोन या क्रेडिट कार्ड लेने में कठिनाई हो रही थी। बैंक के असाइनी शाहा फिनलीज ने इस समस्या का समाधान करने के लिए नो-ड्यूज सर्टिफिकेट जारी करने और सिबिल रिकॉर्ड अपडेट करने के नाम पर 20 हजार रुपये से अधिक राशि की मांग की। यह मांग पूर्णतः अनुचित थी क्योंकि ग्राहक ने पहले ही अपनी सारी देनदारी पूरी कर दी थी।

असाइनी कंपनी की अनुचित मांग

यह भी पढ़े:
Home Loan अब और सस्ता होगा होम लोन, RBI के फैसले से घट जाएगी ब्याज दर Home Loan

शाहा फिनलीज कंपनी द्वारा ग्राहक से अतिरिक्त राशि की मांग करना पूर्णतः गलत था। कंपनी ने 2020 और 2022 में वेंकटेश को कानूनी नोटिस जारी करके उन्हें 20 लाख और 33 लाख रुपये से अधिक की राशि बकाया होने की जानकारी दी थी। यह पूर्णतः गलत जानकारी थी क्योंकि शिकायतकर्ता ने अपनी सारी देनदारी 2010 में ही पूरी कर दी थी। इसके बावजूद उनका नाम देनदारों की सूची से नहीं हटाया गया था। जब वेंकटेश ने अपना नाम देनदारों की सूची से हटाने की याचिका लगाई तो कंपनी ने इसके लिए लगभग 20,500 रुपये की मांग की। यह मांग न केवल अनुचित थी बल्कि ग्राहक के साथ धोखाधड़ी के समान थी। इस प्रकार की गतिविधियों से ग्राहकों का भरोसा बैंकिंग सिस्टम से उठ जाता है।

कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत

लगातार परेशान किए जाने के बाद वेंकटेश बाबू ने कंज्यूमर कोर्ट में अपनी शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने अपनी शिकायत में स्पष्ट रूप से बताया कि उन्होंने सारी राशि का भुगतान कर दिया है फिर भी उन्हें बकाया राशि के लिए परेशान किया जा रहा है। कोर्ट की सुनवाई के दौरान बैंक की ओर से कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुआ, जो बैंक की लापरवाही को दर्शाता है। शाहा फिनलीज की ओर से यह तर्क दिया गया कि यह शिकायत काफी समय बाद की गई है और घटना के 8 साल बाद शिकायतकर्ता ने संपर्क किया है। हालांकि यह तर्क कमजोर था क्योंकि गलत सिबिल रिकॉर्ड का प्रभाव कई सालों तक बना रहता है। कंज्यूमर कोर्ट ने सभी तथ्यों की गहराई से जांच करके इस मामले में निर्णय सुनाया।

यह भी पढ़े:
Gold Rate अगले 90 दिनों में इतने हो जाएंगे 10 ग्राम गोल्ड के रेट Gold Rate

न्यायालय का निर्णायक फैसला

बेंगलुरु के अतिरिक्त उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इस मामले की संपूर्ण जांच के बाद एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। न्यायालय ने पाया कि बैंक और उसकी असाइनी कंपनी ने ग्राहक के साथ अनुचित व्यवहार किया है। सिबिल स्कोर को सही तरीके से अपडेट न करना ग्राहक सेवा की गंभीर कमी है। कोर्ट ने बैंक और शाहा फिनलीज दोनों को संयुक्त रूप से एक लाख रुपये का मुआवजा शिकायतकर्ता को देने का आदेश दिया है। इसके अतिरिक्त दोनों कंपनियों को मुकदमे में हुए 3,000 रुपये के खर्च का भुगतान भी करना होगा। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बैंकों और वित्तीय संस्थानों को सचेत करता है कि वे ग्राहकों के साथ लापरवाही न बरतें।

ग्राहकों के लिए राहत का संदेश

यह भी पढ़े:
Ration Card New Rules सिर्फ इनको मिलेगा फ्री गेहूं, चावल, नमक, बाजरा, राशन कार्ड के नए नियम जारी Ration Card New Rules

यह फैसला सभी बैंक ग्राहकों के लिए एक राहत की खबर है। इससे यह संदेश जाता है कि यदि कोई बैंक या वित्तीय संस्था ग्राहक के सिबिल स्कोर को गलत तरीके से अपडेट करती है तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। यह निर्णय उन ग्राहकों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो गलत सिबिल रिकॉर्ड के कारण लोन या क्रेडिट कार्ड लेने में कठिनाई झेल रहे हैं। अब वे कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकते हैं और न्याय की उम्मीद कर सकते हैं। बैंकों को भी अब अधिक सावधानी बरतनी होगी और ग्राहकों के सिबिल रिकॉर्ड को समय पर और सही तरीके से अपडेट करना होगा। यह फैसला भविष्य में इसी प्रकार के मामलों के लिए एक मिसाल बनेगा।

भविष्य के लिए दिशा-निर्देश

इस ऐतिहासिक फैसले से बैंकिंग सेक्टर में एक नई जागरूकता आएगी। बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अब अपनी प्रक्रियाओं में सुधार करना होगा और ग्राहकों के डेटा को अधिक सावधानी से संभालना होगा। सिबिल स्कोर अपडेट करने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और तीव्र बनाना होगा। ग्राहकों को भी अपने सिबिल स्कोर की नियमित जांच करनी चाहिए और किसी भी गलती की स्थिति में तुरंत संबंधित संस्था से संपर्क करना चाहिए। यदि संस्था सहयोग नहीं करती तो कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खुला है। यह फैसला वित्तीय सेवा प्रदाताओं के लिए एक चेतावनी है कि वे ग्राहकों के अधिकारों का सम्मान करें और उनके साथ निष्पक्ष व्यवहार करें।

यह भी पढ़े:
Cheque Bounce Case चेक बाउंस के मामले में अब होगी ये सजा, सरकार ने बदले नियम Cheque Bounce Case

बेंगलुरु कंज्यूमर कोर्ट का यह फैसला भारतीय बैंकिंग सेक्टर में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह निर्णय स्पष्ट करता है कि ग्राहकों के साथ लापरवाही या धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सिबिल स्कोर जैसी महत्वपूर्ण जानकारी को गलत तरीके से प्रबंधित करना अब महंगा पड़ सकता है। यह फैसला न केवल शिकायतकर्ता के लिए न्याय है बल्कि सभी ग्राहकों के लिए एक सुरक्षा कवच भी है। आशा है कि इस फैसले के बाद बैंक और वित्तीय संस्थाएं अधिक जिम्मेदारी से काम करेंगी और ग्राहकों के हितों की रक्षा करेंगी। यह निर्णय उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है और इसे कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। सिबिल स्कोर और उससे संबंधित विवाद व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर अलग हो सकते हैं। किसी भी वित्तीय या कानूनी समस्या के लिए संबंधित विशेषज्ञों से सलाह लेना आवश्यक है। कंज्यूमर कोर्ट के फैसले केस की विशिष्ट परिस्थितियों पर आधारित होते हैं और हर मामला अलग हो सकता है। अपने सिबिल स्कोर की नियमित जांच करते रहें और किसी भी त्रुटि की स्थिति में तुरंत कार्रवाई करें।

यह भी पढ़े:
Property Knowledge प्रोपर्टी खरीदते समय जरूर चेक कर लें ये 5 डॉक्यूमेंट, इसके बिना नहीं मिलेगा मालिकाना हक Property Knowledge

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

Leave a Comment

Join Whatsapp Group