अब और सस्ता होगा होम लोन, RBI के फैसले से घट जाएगी ब्याज दर Home Loan

By Meera Sharma

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Home Loan: बढ़ती महंगाई के इस दौर में जब प्रॉपर्टी की कीमतें आसमान छू रही हैं, तो अपना घर खरीदना हर किसी के लिए आसान नहीं रह गया है। ऐसे में होम लोन एक महत्वपूर्ण विकल्प बनकर सामने आता है, जो लोगों के घर खरीदने के सपने को साकार करने में मदद करता है। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में की गई कटौती के बाद देश के कई बैंकों ने होम लोन की ब्याज दरों में कमी की है। यह घटना होम लोन लेने वालों के लिए एक सुखद समाचार है, क्योंकि कम ब्याज दर का मतलब है कि लोन चुकाना आसान हो जाएगा और आर्थिक तंगी का सामना भी कम करना पड़ेगा।

मौजूदा रेपो रेट स्थिति और भविष्य की संभावनाएं

वर्तमान में रेपो रेट 6 प्रतिशत के स्तर पर चल रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में इसमें और कमी देखने को मिल सकती है। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की तीन दिवसीय बैठक 4 जून को शुरू हो चुकी थी और इसके परिणामों की घोषणा 6 जून को होने की उम्मीद थी। अर्थशास्त्रियों ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी की संभावना जताई है, जिससे रेपो रेट घटकर 5.75 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। इस साल आरबीआई ने पहले भी दो बार रेपो रेट में कमी की है, और अब तीसरी बार कमी की संभावना दिख रही है।

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होम लोन की ब्याज दरों में आई कमी

देश के कई सरकारी बैंकों ने अपने होम लोन के ब्याज दरों को 7.75 से 7.9 प्रतिशत के बीच तय किया है। इन बैंकों में यूसीओ बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं। यदि आरबीआई रेपो रेट में और कमी करता है, तो इन बैंकों के होम लोन के ब्याज दरें 7.75 प्रतिशत से भी नीचे आ सकती हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि होम लोन का ब्याज दर गिरकर 7.75 प्रतिशत से कम हो जाएगा। यह कमी उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होगी जो होम लोन लेने की योजना बना रहे हैं या पहले से लिए गए लोन की ईएमआई कम करना चाहते हैं।

फिक्स्ड डिपॉजिट पर प्रभाव

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रेपो रेट में कमी का असर केवल लोन की ब्याज दरों पर ही नहीं बल्कि फिक्स्ड डिपॉजिट की दरों पर भी पड़ता है। जब आरबीआई रेपो रेट घटाता है, तो बैंक होम लोन और कार लोन के ब्याज दरों में कमी करते हैं, लेकिन साथ ही वे फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज को भी कम कर देते हैं। यह एक तरफ लोन लेने वालों के लिए अच्छी खबर है, वहीं दूसरी तरफ जमाकर्ताओं को कम रिटर्न मिलने की संभावना है। इस स्थिति में निवेशकों को अपनी वित्तीय योजना में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है और वैकल्पिक निवेश विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है।

प्राइवेट बैंकों की स्थिति

कुछ प्राइवेट बैंकों ने अभी तक अपने ब्याज दरों में कमी नहीं की है, जिसमें एक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक प्रमुख हैं। हालांकि, इन बैंकों के भी ब्याज दरों में कमी होने की संभावना जताई जा रही है क्योंकि बाजार में प्रतिस्पर्धा के कारण उन्हें भी अपनी दरें कम करनी पड़ सकती हैं। बैंकबाजार डॉट कॉम के अनुसार, वर्तमान में 1 करोड़ रुपये के 20 साल के होम लोन पर ब्याज दर 7.75 से 9.35 प्रतिशत के बीच है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष ब्याज दरों में कमी का सिलसिला जारी रहने वाला है, जिससे सभी बैंकों को अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है।

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आर्थिक परिस्थितियों का प्रभाव

रिटेल मुद्रास्फीति पिछले कुछ महीनों से 4 प्रतिशत के लक्ष्य से कम बनी हुई है, जिसके कारण केंद्रीय बैंक का फोकस अब आर्थिक विकास पर अधिक हो रहा है। इस स्थिति में आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कमी की संभावना काफी अधिक दिख रही है। साल की शुरुआत में रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर था, जो अब घटकर 6 प्रतिशत पर आ गया है। फरवरी में कई सालों बाद आरबीआई ने पहली बार रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी की थी। सरकारी और प्राइवेट बैंकों ने इसके बाद होम लोन और कार लोन के ब्याज दरों में कमी की है।

होम लोन लेने वालों के लिए सुझाव

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जो लोग होम लोन लेने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए यह एक अच्छा समय हो सकता है क्योंकि ब्याज दरें कम हो रही हैं। हालांकि, लोन लेने से पहले विभिन्न बैंकों की दरों की तुलना करना और अपनी वित्तीय स्थिति का सही मूल्यांकन करना आवश्यक है। लोन की अवधि, प्रोसेसिंग फीस, और अन्य छुपी हुई लागतों को भी ध्यान में रखना चाहिए। मौजूदा लोन धारकों को अपने बैंक से संपर्क करके पता करना चाहिए कि क्या उनकी ब्याज दर में कमी हुई है या नहीं। यदि किसी कारण से दर में कमी नहीं हुई है, तो वे दूसरे बैंक से लोन ट्रांसफर करने का विकल्प भी देख सकते हैं।

आरबीआई की नीति के कारण होम लोन की ब्याज दरों में आई कमी घर खरीदारों के लिए एक सुनहरा अवसर है। कम ब्याज दरों का मतलब है कि लोग कम ईएमआई में अपने सपनों का घर खरीद सकते हैं। हालांकि, लोन लेने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करना और विभिन्न विकल्पों की तुलना करना आवश्यक है। भविष्य में भी ब्याज दरों में कमी की संभावना है, लेकिन निर्णय लेते समय वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए।

Disclaimer

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यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी और समाचार स्रोतों पर आधारित है। हालांकि हमने सटीकता सुनिश्चित करने का प्रयास किया है, फिर भी वास्तविक ब्याज दरें और बैंकिंग नीतियां भिन्न हो सकती हैं। कृपया कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले संबंधित बैंक या वित्तीय सलाहकार से सलाह अवश्य लें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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